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नए साल 2020 के पहले माह में मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या के बाद मनाई जाएगी बसंत पंचमी

जीवन मंत्र डेस्क। नए साल 2020 शुरू हो गया है। साल के पहले माह यानी जनवरी में कई विशेष पर्व आ रहे हैं। इसी माह से माघ मास स्नान के शुरू जाएंगे। इन दिनों में पवित्र नदियों में स्नान करने की परपंरा है। मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा की जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए जनवरी 2020 में कब कौन से विशेष तीज-त्योहार आएंगे और इन दिनों में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
  • सोमवार, 6 जनवरी को एकादशी है। हिन्दी पंचांग के अनुसार अभी पौष मास चल रहा है। इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए विशेष पूजा और व्रत करना चाहिए।
  • बुधवार, 8 जनवरी को प्रदोष व्रत है। इस दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने की परंपरा है।
  • शुक्रवार, 10 जनवरी को शाकंभरी पूर्णिमा है। ये पौष मास का अंतिम दिन है। इसी दिन से माघ मास के स्नान शुरू हो जाएंगे। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने का विधान है।
  • सोमवार, 13 जनवरी को गणेश चतुर्थी व्रत है। इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेशजी के लिए व्रत-उपवास, पूजन किए जाते हैं। 13 जनवरी को ही लोहड़ी उत्सव भी मनाया जाएगा।
  • बुधवार, 15 जनवरी को मकर संक्रांति है। सूर्य जब धनु राशि से मकर में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के सूर्य पूजा और दान-पुण्य करने की परंपरा प्रचलित है। 15 जनवरी को सूर्य के राशि बदलने से खरमास भी समाप्त हो जाएगा। इसके बाद मांगलिक कर्म, विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ काम फिर से शुरू हो जाएंगे।
  • सोमवार, 20 जनवरी को षट्तिला एकादशी है। इस दिन भगवान को तिल से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है और स्वयं भी इन व्यंजन का सेवन करना चाहिए।
  • बुधवार, 22 जनवरी को प्रदोष व्रत पर शिवजी और पार्वती का अभिषेक करना चाहिए।
  • शुक्रवार, 24 जनवरी को मौनी अमावस्या है। इस तिथि पर नदियों में स्नान करने के बाद दान-पुण्य करना चाहिए। पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण करना चाहिए।
  • मंगलवार, 28 जनवरी को अंगारक विनायक चतुर्थी है। जब मंगलवार को विनायक चतुर्थी आती है तो उसे अंगारक विनायक चतुर्थी कहते हैं।
  • गुरुवार, 30 जनवरी को बसंत पंचमी है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा करनी चाहिए। प्राचीन समय में इसी तिथि पर देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं।


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