जीवन मंत्र डेस्क. हिंदू कैलेंडर के आखिरी 15 दिन यानी फाल्गुन शुक्लपक्ष में महत्वपूर्ण व्रत-उपवास और त्योहार होते हैं। फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। इन दिनों में शीतल जल से स्नान करना लाभदायक होता है।
- फाल्गुन शुक्लपक्ष में अनाज का प्रयोग कम करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। शुक्लपक्ष में वसंत ऋतु होने से रंगीन और सुंदर कपड़े धारण करना चाहिए। फाल्गुन माह का शुक्लपक्ष 24 फरवरी से 9 मार्च तक रहेगा।
चंद्र देव की उत्पत्ति
- फाल्गुन माह का शुक्लपक्ष चंद्र देव की आराधना के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है, क्योंकि ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि चंद्रमा की उत्पति महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया की संतान के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को ही हुई थी। इसलिए फाल्गुन को चंद्रमा का जन्म माह माना जाता है।
- ज्योतिष के अनुसार चंद्र का दिन सोमवार है और उन्हें जल तत्व का देव भी कहा जाता है। चंद्रमा का जन्म फाल्गुन मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है। इसलिए ही इसी माह में समारोह पूर्वक चंद्रोदय पर विशेष पूजा की जाती है। शुक्लपक्ष की द्वितिया तिथि पर चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।
इन दिनों यानी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा एवं पंचमी पर भगवान शिव के नागेश्वर रूप की पूजा करने का महत्व बताया गया है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को जानकी नवमी पर माता सीता का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी का जन्म हुआ था। एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसके अगले दिन गोविंद द्वादशी व्रत किया जाता है। इस हफ्ते ही होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक आरंभ हो जाता है और इन दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
होलाष्टक कब से
अगले महीने यानी मार्च में 3 तारीख को शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा। जो कि होलिका दहन के अगले दिन 10 मार्च को खत्म हो जाएगा। 3 मार्च से होलाष्टक शुरू होते ही मांगलिक कामों में रोक लग जाएगी। इन 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाएंगे।
फाल्गुन 2020 में शादी के मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार फाल्गुन महीने यानी फरवरी-मार्च में 6 दिन विवाह के लग्न मुहूर्त हैं। इस तरह फरवरी में 25 तारीख को फुलेरा दूज होने कारण विवाह आदी मांगलिक कामों के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। कुछ विद्वानों के अनुसार इसमें सूर्य, गुरु आदि का बल देखने की आवश्यकता नहीं रहती, इसे स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहा गया है। इसी महीने 26, और 27 फरवरी को भी विवाह के मुहूर्त हैं। वहीं इनके अलावा 2, 11 और 12 मार्च को भी शादी के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे।
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