Skip to main content

घटस्थापना के लिए हैं 3 मुहूर्त, 5 राजयोग में नवरात्र शुरू होना देश के लिए शुभ

जीवन मंत्र डेस्क.25 मार्च, बुधवार यानी आज चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। जो कि 2 अप्रैल यानी रामनवमी तक रहेंगे। आज घटस्थापना के लिए दिनभर में 3 शुभ मुहूर्त हैं। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस नवरात्रि की शुरुआत 5 राजयोगों में हो रही है। जिनका शुभ प्रभाव देशभर में रहेगा। पं. मिश्रा के अनुसार इस तरह ग्रहों की शुभ स्थिति से देश में फैली बीमारी और डर का माहौल खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छबि मजबूत होगी और देश उन्नति करेगा। इस बार नवरात्रि में कोई भी तिथि क्षय नहीं होना शुभ रहेगा।

5 राजयोगों का प्रभाव

बुधवार, 25 मार्च यानी आज सूर्योदय के समय की कुंडली में गजकेसरी, पर्वत, शंख, सत्कीर्ति और हंस नाम के राजयोग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में नवरात्रि कलश स्थापना होना देश के लिए शुभ संकेत हैं। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्रा के अनुसार इन राजयोगों का शुभ प्रभाव नवरात्रि की अष्टमी तिथि से देखने को मिल सकता है। उन्होंने बताया कि देश में फैल रही महामारी का प्रभााव नवरात्रि के साथ ही कम होने लगेगा। वहीं देश की आर्थिक और राजनैतिक स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी।

देवी का आगमन-प्रस्थान और 9 दिन के नवरात्र शुभ

ज्योतिषाचार्य पं.मिश्रा के अनुसार इस बार देवी का आगमन नाव पर होगा और प्रस्थान हाथी पर होना शुभ रहेगा। वहीं नवरात्रि में किसी तिथि का क्षय न होना भी देश के लिए शुभ संकेत हैं। इनके प्रभाव से देश में समृद्धि और खुशहाली आएगी। लोगों की मनोकामनाएं पूरी होंगी। देश में फैली महामारी खत्म होने की संभावना है। देश की जनता का सुख बढ़ेगा।

होरा अनुसार घट स्थापना के शुभ मुहूर्त

  1. 25 मार्च को घट स्थापना सुबह 6.25 से 9.30 तक। यह बुध और चंद्रमा की होरा है। इस होरा में घट स्थापना करने से मानसिक शांति, उत्तम स्वास्थ्य, मनोकामना पूर्ति होने की मान्यता है।
  2. सुबह 11.05से दोपहर 12.32 तक। यह सूर्य और शुक्र की होरा है। इस होरा में घट स्थापना करने से मान पद प्रतिष्ठा, ऐश्वर्या में वृद्धि होने की मान्यता है।
  3. दोपहर 3.35 से 5.34 तक। यह बृहस्पति और मंगल की होरा है। इस होरा में घट स्थापना करने से पराक्रम में वृद्धि, उत्साह, पद और प्रतिष्ठा, धन, सुख, सौभाग्य की प्राप्ति की मान्यता है।


घट स्थापना और पूजा विधि

  1. पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर तांबे या मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर माता की मूर्ति या चित्र रखें।
  2. मूर्ति अगर कच्ची मिट्टी से बनी हो और उसके खंडित होने की संभावना हो तो उसके ऊपर उसके ऊपर शीशा लगा दें।
  3. मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
  4. नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें।
  5. दुर्गा देवी की पूजा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा और श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।


ध्यान रखें ये बातें
1.
नवरात्र में माता दुर्गा के सामने नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। यह अखंड ज्योत माता के प्रति आपकी अखंड आस्था का प्रतीक स्वरूप होती है। माता के सामने एक एक तेल व एक शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
2. मान्यता के अनुसार, मंत्र महोदधि (मंत्रों की शास्त्र पुस्तिका) के अनुसार दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जाप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त हो है। कहा जाता है-

दीपम घृत युतम दक्षे, तेल युत: च वामत:।
अर्थ - घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर तथा तेल वाला दीपक देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।

3. अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके लिए एक छोटे दीपक का प्रयोग करें। जब अखंड ज्योत में घी डालना हो, बत्ती ठीक करनी हो तो या गुल झाड़ना हो तो छोटा दीपक अखंड दीपक की लौ से जलाकर अलग रख लें।
4. यदि अखंड दीपक को ठीक करते हुए ज्योत बुझ जाती है तो छोटे दीपक की लौ से अखंड ज्योत पुन: जलाई जा सकती है छोटे दीपक की लौ को घी में डूबोकर ही बुझाएं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Chaitra Navratri 2020 Ghatasthapana Muhurat Date Time; Chaitra Navratri Puja Vidhi, Raja Yoga Graha In Your Janmkundali


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/39iKp6r

Comments

Trending

Health

Popular posts from this blog

विसर्जन के बाद मिट्टी और पानी को गमले या पेड़-पौधों में डालें, ताकि पैर न लगे

1 सितंबर यानी आज अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जा रहा है। 10 दिन तक गणेशजी की पूजा-अर्चना के बाद आज मूर्तियों को विसर्जित किया जाएगा। वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में गणेशजी को विसर्जित करने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास जब महाभारत लिखने के लिए एक गुणी लेखक को ढूंढ रहे थे तो इस काम के लिए गणेशजी राजी हुए थे लेकिन उन्होंने शर्त भी रखी कि जब तक महर्षि बिना रुके बोलेंगे वे भी लगातार लिखते रहेंगे। वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत की कथा सुनानी प्रारंभ की थी। गणेशजी लगातार 10 दिन तक कथा लिखते रहे। अत्यधिक मेहनत से बढ़ा तापमान और स्नान के बाद मिली थी राहत महर्षि वेदव्यास महाभारत की कथा सुनाते रहे और गणेश जी लिखते रहे। कथा पूरी होने पर महर्षि वेदव्यास ने आंखें खोली। उन्होंने देखा कि अत्यधिक मेहनत के कारण गणेशजी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। लगातार रात-दिन लेखन की वजह से गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ने लगा, तो वेद व्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप लगाकर भाद्र शुक्ल चतुर्थी को उनकी पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेशजी का शरीर अकड़ गया। उनके शरीर ...

दोस्त की मदद करने में कभी पीछे न हटें:रामायण में श्रीराम के मित्र थे सुग्रीव और निषादराज, महाभारत में श्रीकृष्ण के मित्र थे अर्जुन, द्रौपदी और सुदामा

from जीवन मंत्र | दैनिक भास्कर https://ift.tt/mPIr0Nl