सोमवार, 4 मई को ग्रहों का सेनापति मंगल राशि बदलकर मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं। मकर राशि में मंगल, गुरु और शनि की युति बनी हुई है। मंगल के निकलने के बाद गुरु और शनि मकर राशि में रह जाएंगे। सिर्फ इन दोनों ग्रहों की मकर राशि में युति 59 साल बाद बनेगी। मई में शनि और गुरु होंगे वक्री उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मकर राशि में गुर-शनि की युति 1961 में बनी थी। 11 मई की शाम शनि और 14 मई की रात गुरु ग्रह वक्री हो जाएगा। इसके बाद ये दोनों ग्रह मकर राशि में एक साथ वक्री रहेंगे। देश-दुनिया के लिए लाभदायक रहेंगे गुरु-शनि वक्री गुरु 29 जून की रात धनु राशि में प्रवेश करेगा। तब तक इन दोनों ग्रहों की वक्री स्थिति देश-दुनिया के लिए लाभदायक रहने वाली है। इन दोनों ग्रहों के शुभ असर से दुनियाभर में फैली महामारी का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। आर्थिक संकट पर नियंत्रण होने लगेगा। प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होगी। धनु गुरु के स्वामित्व की राशि है और मकर शनि के स्वामित्व की, ये दोनों ग्रह अपनी-अपनी राशियों में वक्री रहेंगे। 13 सितंबर को गुरु धनु में और 29...